ग्रेट ब्रिटेन के संविधान की विशेषताएं


ग्रेट ब्रिटेन यूनाइटेड किंगडम के साथ भारत की घनिष्ठ संबंध रहे हैं हमारी अपनी राजनीतिक व्यवस्था विशेषकर संसदीय लोकतंत्र ब्रिटेन की राजव्यवस्था पर काफी कुछ आधारित है आकार के आधार पर यह देश छोटा जरूर है लेकिन इसके विषय में यह उक्ति है कि ब्रिटिश साम्राज्य में सूर्य कभी भी अस्त नहीं होता । विश्व की 5 शक्तियों में से एक ग्रेट ब्रिटेन एक है । इसी आधार पर ब्रिटेन को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य बनाया गया था । ब्रिटिश संविधान एक विकसित संविधान है ।इसने 1400 वर्षों के आधार पर अपने वर्तमान स्वरूप को प्राप्त किया है और अब भी विकास में है |



ब्रिटेन ने अपनी परिस्थितियों के अनुसार जिस संविधान को अपनाया उसकी अपनी कुछ विशेषताएं हैं उन विशेषताओं के मुख्य बिन्दु है -
 

 विकसित संविधान

भारत ,अमेरिका, फ्रांस और अन्य देशों के संविधान का निर्माण विशेष संविधान सभा द्वारा किया गया जबकि ब्रिटिश संविधान का निर्माण नहीं विकास हुआ है और वर्तमान स्वरूप सदियों के विकास के बाद प्राप्त किया गया है ब्रिटेन में 9 वीं शताब्दी से राजतंत्र की स्थापना 13 वीं सदी में संसद का विधिवत चलन प्रारंभ हुआ 17 वी सदी में संसदीय प्रभुसत्ता की स्थापना हुई उसके बाद का संवैधानिक इतिहास ब्रिटिश व्यवस्था के लोकतंत्र की गाथा है ।


अलिखित संविधान

अंग्रेज सिद्धांतवादी कम और व्यवहारवादी अधिक है ।इसी कारण उनमें अपने संविधान को लिपिबद्ध करने के प्रति सदैव अनिच्छा रही है ।ब्रिटिश संविधान अलिखित संविधान का एकमात्र उदाहरण है ।न्यूमेन कहा" जो बात ब्रिटिश संविधान को विशिष्ट बनाती है वह ऐसे अनेक नियमों का अस्तित्व है जो केवल परंपरा पर आधारित है ।"

लचीला या परिवर्तनशील संविधान

परिवर्तनशील ता के आधार पर दो प्रकार के संविधान होते हैं लचीला संविधान और कठोर संविधान लचीला संविधान में साधारण कानून के निर्माण की प्रक्रिया से ही परिवर्तन किया जा सकता है ब्रिटिश संसद सामान्य बहुमत के आधार पर ही संविधान में कोई परिवर्तन कर सकती है ब्रिटेन में साधारण कानून तथा संवैधानिक कानून में कोई अंतर नहीं है किंतु व्यवहार में ब्रिटिश व्यक्तियों की रूढ़िवादिता और स्थापित जनतंत्र परंपराओं ने संविधान की मूल व्यवस्था में परिवर्तन का कार्य कठिन कर दिया है ब्रिटेन में यह परंपरा स्थापित हो गई है कि आम चुनाव में जब तक उस विषय में जन सहमति प्राप्त हो जाए तब तक संविधान में महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं होंगी

सिद्धांत एवं व्यवहार में अंतर 

मुनरो के अनुसार ब्रिटिश शासन में जो कुछ दिखाई देता है वह वास्तव में है नहीं और जो है वह दिखाई नहीं देता है ब्रिटिश संविधान में सैद्धांतिक दृष्टि से इंग्लैंड में राजतंत्र है लेकिन व्यवहार में वहां लोकतंत्र है सिद्धान्त की दृष्टि से इंग्लैंड की शासन व्यवस्था में शक्ति का पृथक्करण पाया जाता है क्योंकि वहां कानून निर्माण शक्ति संसद में कार्यपालिका शक्ति मंत्रिमंडल में और न्यायिक शक्ति न्यायपालिका में निहित है किंतु इंग्लैंड में शक्ति का केंद्रीकरण या सामजस्य देखा जा सकता है सिद्धान्त की दृष्टि से ब्रिटिश संसद कैबिनेट पर नियंत्रण रखती है किंतु व्यवहारिकता में स्वयं कैबिनेट से नियंत्रित होती है ।

संसदात्मक प्रजातंत्र

ब्रिटेन में संसदीय प्रजातंत्र को अपनाया गया है और ब्रिटिश शासन संसदात्मक व्यवस्था का आदर्श प्रतीक है संसदात्मक शासन के तीनों लक्षण दोहरी कार्यपालिका व्यवस्थापिका और कार्यपालिका में घनिष्ठ संबंध तथा कार्यपालिका के कार्यकाल की अनिश्चितता ब्रिटिश शासन के अंतर्गत पूर्ण अशों में विद्यमान है । ब्रिटिश सम्राट कार्यपालिका का नाममात्र का प्रधान है और प्रधानमंत्री एवं कैबिनेट वास्तविक प्रधान है इंग्लैंड में कार्यपालिका और व्यवस्थापिका में बड़ा घनिष्ठ संबंध है कार्यपालिका व्यवस्थापिका मे से ली जाती है और कार्यपालिका के सदस्य कानून निर्माण  कार्य में भी संसद का नेतृत्व करते हैं इस प्रकार व्यवस्थापिका अर्थात संसद कानून निर्माण कार्य के साथ-साथ प्रशासन पर भी नियंत्रण रखती है।



संसद की सर्वोच्चता या प्रभु सत्ता

ब्रिटेन में एकात्मक शासन होने के कारण संसद एकमात्र कानून निर्माण करने वाली संस्था है और संविधान लचीला होने के कारण साधारण बहुमत से ही किसी भी कानून का निर्माण कर सकती है ।
डी लोम्ब ने कहा है संसद स्त्री को पुरुष और पुरुष को स्त्री बनाने के अतिरिक्त अन्य सब कुछ कर सकती है।

एकात्मक शासन

संविधान के द्वारा शासन की समस्त शक्ति केंद्रीय सरकार में निहित कर दी गई है और यह केंद्रीय सरकार ही संपूर्ण देश के शासन का संचालन करती है यद्यपि प्रशासनिक सुविधा की दृष्टि से केंद्रीय सरकार द्वारा स्थानीय प्रशासनिक इकाइयों की स्थापना की गई है तथा उन्हें पर्याप्त शक्तियां भी प्रदान की गई है लेकिन स्वभाविक रूप से इनका अस्तित्व तथा शक्तियां केंद्रीय सरकार की इच्छा पर निर्भर करती हैं।

विधि का शासन

अंग्रेज विधि के शासन पर गर्व महसूस करते है । विधि के शासन से तात्पर्य इंग्लैंड का शासन व्यक्ति विशेष की इच्छा से नहीं वरन विधि के द्वारा ही किया जाता है।
अधिकार पत्र का अभाव किंतु नागरिक स्वतंत्रता और अधिकारों की विघमानता
कुछ अधिकार जैसे बंदी प्रत्यक्षीकरण का अधिकार, शस्त्र धारण करने का अधिकार, आवेदन प्रस्तुत करने का अधिकार ,अत्यधिक जुर्माने और दंड से बचने का अधिकार आदि तो संसदीय अधिनियमों द्वारा प्रदान किए गए हैं अन्य कुछ स्वतंत्रताए  भाषण एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सम्मेलन और संघ बनाने की स्वतंत्रता सामान्य विधि पर आधारित है।

मिश्रित शासन प्रणाली

परिस्थितियों के अनुसार ब्रिटिश संविधान में जहां पर प्रगतिशीलता है वही असंगति भी है जिसके प्रमाण तथा प्रतीक है ब्रिटिश की मिश्रित शासन प्रणाली मूल रूप से जो तीन प्रकार की शासन व्यवस्थाएं राजतंत्र कुलीन तंत्र और प्रजातंत्र होती हैं ब्रिटेन में इन तीनों ही शासन व्यवस्थाओं के लक्षण विद्यमान  है राष्ट्र के प्रतीक के रूप में ब्रिटेन का सम्राट है जिसके द्वारा उत्तराधिकार के आधार पर अपना पद प्राप्त किया जाता है लार्ड सभा कुलीनतंत्रीय संस्था है जिसके अधिकांश सदस्य कुलीन वर्ग में से आते हैं और उत्तराधिकार के आधार पर पद ग्रहण करते हैं ।लोक सदन और कैबिनेट लोकतंत्र संस्थाओं के प्रतीक है राजपद और लार्ड  सभा के होते हुए भी वास्तविकता की दृष्टि से ब्रिटेन में लोकतंत्रीय शासन ही है क्योंकि राजपद और लार्ड सभा की शक्तियों को बहुत अधिक सीमित कर दिया गया है।

द्विदलीय पद्धति

प्रथम महायुद्ध की समाप्ति तक ब्रिटिश राजनीति में लगभग 2 दल प्रमुख से अनुदार दल और उदार दल । द्विदलीय पद्धति के कारण ब्रिटेन में एक ही राजनीतिक दल की सरकार का निर्माण होता है और वह राजनीतिक स्थायित्व प्रदान करती है ब्रिटेन में संसदीय शासन की अद्वितीय सफलता का श्रेय बहुत कुछ इस द्विदलीय पद्धति को ही दिया जा सकता है।

सीमित रूप में शक्ति विभाजन का सिद्धांत

ब्रिटेन में संसदात्मक शासन व्यवस्था है और संसदीय शासन में व्यवस्थापिका और कार्यपालिका अनिवार्य रूप से परस्पर संबंधित होती है ब्रिटेन में शक्ति पृथक्करण सिद्धांत को उत्तरदायित्व के केंद्रीयकरण के सिद्धांत के साथ मिश्रित कर दिया गया है । ब्रिटिश मंत्रिमंडल में कार्यपालिका और विधायी शक्तियो का मेल हो गया है पर न्यायपालिका स्वतंत्र है ।
रैमजे म्योर के अनुसार" यदि शक्तियो का विभाजन अमेरिकी संविधान का एक आवश्यक सिद्धान्त है तो उत्तरदायित्व का केंद्रीकरण अंग्रेजी संविधान का एक आवश्यक सिद्धांत है।"

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