प्लेटो का उपादर्श राज्य

प्लेटो ने अपने ग्रन्थ' लॉज' में एक ऐसे राज्य की स्थापना की जिसमें वह आदर्शों का प्रतिबिम्ब कानून के आधार पर देख सके यह उपादर्श राज्य के सिद्धान्त से हटकर ला ।

प्लेटो अपने उपादर्श राज्य की स्थापना में भौगोलिक परिस्थितियों को बहुत महत्व प्रदान करता है । प्लेटो मानता है कि भौगोलिक परिस्थितियां नागरिक के चरित्र पर गहरा प्रभाव डालती है। प्लेटो अपने उपादर्श राज्य को समुद्र की निकटता से दूर रखना चाहता है। वह मानता है यदि राज्य समुद्र के निकट होगा तो राज्य के निवासी समुद्र के माध्यम से व्यापार करने लगेगें जिससे वे भ्रष्ट एवं दुषित हो जायेगें। वह मानता है कि समुद्र से दूर राज्य अच्छा होता है । वह अपने उपादर्श राज्य को समुद्र के तट से दूर आत्मनिर्भर और विदेशी व्यापार से मुक्त रखना चाहता है । समुद्री व्यापार का वह इसलिए विरोधी था कि उससे नागरिकों में धन कमाने की प्रवृत्ति जन्म लेती है जो उन्हें स्वार्थी और बेईमान बना देती है । अतः प्लेटो का उपादर्श राज्य कृषि प्रधान, आत्मनिर्भर एवं स्वालम्बी राज्य है । उसके अनुसार उपादर्श राज्य की जनसंख्या 5040 होनी चाहिए। प्लेटो द्वारा यह संख्या काफी सोच समझ निर्धारित की गयी थी ।



प्लेटो पर पाइथागोरस का काफी प्रभाव था जिसके कारण कुछ संख्याओ को महत्वपूर्ण मानता था। उसके अनुसार 5040 एक ऐसी संख्या हो जो एक से 10 तक संख्याओ से विभाजित हो जाती है
1*2*3*4*5*6*7 =5040 तथा 7*8*9*10 = 5040

युद्ध एवं शान्ति काल के लिए यह संख्या उपयोगी है। युद्ध में इस संख्या के आधार पर नागरिकों की व्यूह रचना प्रत्येक प्रकार से की जा सकती है, क्योंकि यह संख्या अनेक भागों में विभाजित की जा सकती है । साथ ही भूमि वितरण एवं कर आदि वसूल करने की दृष्टि से भी यह संख्या काफी सुविधाजनक है ।

इस संख्या का मुख्य भाजक 12 है। प्लेटो अपने उपादर्श राज्य को भी 12 जातियों में विभाजित करता है और वर्ष के 12 महीनों में काम करने के लिए राज्य परिषद की 12 समितियां बनाता है। नाप, तौल मुद्रा आदि की व्यवस्था भी 'द्वादशात्मक' थी।

प्लेटो की दृष्टि में गणित का इतना महत्व है कि वह उसे आध्यातिमक विकास की सीढ़ी मानता था। उसके अनुसार इस संख्या से परिचित होकर नागरिक आध्यातिमक विकास के पथ पर अग्रसर होने में सफल हो सकते हैं।
गणित के आधार पर आधारित राज्य को 12 भागों में बाँट कर उनका वर्ष के महीनो के साथ संबंध जोड़कर वह उन महीनों में होने वाली दैव कृपाओं के साथ इन भागों को संयुक्त करना चाहता था। प्लेटो यह चाहता था उपादर्श राज्य के द्वारा ऐसे नियम बनाए जाने चाहिए जिससे राज्य की जनसंख्या न इससे अधिक न इससे कम होने पाये।

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