संविधान सभा




संविधान की बात सबसे पहले 1922 में महात्मा गाँधी द्वारा कही गई। उसके पश्चात 1934 में एमएन राय ने संविधान सभा की माँग रखी तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 1935 में संविधान की मांग की। जवाहर लाल नेहरू ने 1938 में व्यस्क मताधिकार द्वारा संविधान सभा के निर्माण को स्वीकारा ।
1942 में ब्रिटिश सरकार के कैबिनेट मंत्री सर स्टेफोर्ड क्रिप्स ब्रिटिश सरकार प्रारूप के साथ भारत आये परन्तु मुस्लिम लीग द्वारा इसे अस्वीकार कर दिया गया।
1946 में कैबिनेट मिशन भारत आया । नवम्बर 1946 में संविधान सभा का गठन किया गया जिसकी कुल सदस्य संख्या 389 थी जिसमें ब्रिटिश भारतीय प्रांत के 292 , देशी रियासत के 93 तथा मुख्य आयुक्त प्रांत से 4 सदस्य थे।
संविधान सभा के चुनावों का परिणाम जुलाई -अगस्त1946 में घोषित हुआ जिसमे कांग्रेस ने208 , मुस्लिम लीग ने 73, यूनियनिस्ट पार्टी 01, यूनियनिस्ट मुस्लिम 01, यूनियनिस्ट शेडयुल कास्ट 01, कृषक प्रजा पार्टी 01, शेडयुल कास्ट फेडरेशन 01, सिक्ख ( नान कांग्रेस)01, कम्युनिस्ट पार्टी 01 तथा इनडिपेन्डेंट पार्टी ने 08 सीटें जीती जिनका कुल योग 296 था ।
देसी रियासतो की 93 सीटे नहीं भर पायी क्योंकि उन्होंने अपने को चुनाव से अलग रखा।
कांग्रेस को सबसे ज्यादा सीट प्राप्त होने के कारण ग्रेनविन आस्टिन ने संविधान सभा को कांग्रेसी सभा कहा। चर्चिल ने एक जाति की सभा कहा ।

 

संविधान सभा की कार्य प्रणाली 

 
9 दिस्मबर1946 को संविधान सभा की प्रथम बैठक हुई जिसमें 211 सदस्यो ने भाग लिया जबकि मुस्लिम लीग ने
बहिष्कार किया। सचिदानंद सिन्हा अस्थायी अध्यक्ष चुने गये। दो उपाध्यक्ष डा० एच० सी० मुखर्जी तथा वी०टी० कृष्णामचारी रहे। बाद में स्थायी अध्यक्ष के लिए डा० राजेन्द्र प्रसाद को चुना गया।
13 दिसम्बर 1946 को प० जवाहर लाल नेहरु द्वारा उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया गया इसमें सवैंधानिक ढांचे एवं दर्शन की झलक थी।22 जनवरी 19 को सर्वसम्मति से उद्देश्य प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया इसमें संविधान के उद्देश्यो को इंगित किया गया ।
नोट- संविधान की प्रारम्भिक बैठक में डा० आम्बेडकर को कोई स्थान नहीं था ।भारत विभाजन से पूर्व अ म्बेडकर बंगाल से सदस्य थे। भारत विभाजन के बाद वी एन राव के कहे जाने पर आम्बेडकर को बॉम्बे से संविधान सभा का सदस्य बनाया गया।
 

संविधान का प्रारूप

 
वेनेगल नरसिंह राव सवैधानिक सलाहकार रहे । इन्होनें ही संविधान का प्रारूप तैयार किया । भारत की तरफ से वीएन राव अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय के न्यायाधीश(प्रथम) रहे।
प्रारूप समिति का कार्य राव द्वारा बनाए गये प्रारूप पर विचार विमर्श करना था इस समिति के सदस्य डा० अम्बेडकर( अध्यक्ष) , एन गोपालास्वामी आयंगर, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, डा० केएम मुंशी, सैयद मौ॰ सादुल्ला( मुस्लिम लीग), एन माधवराव एवं टी टी कृष्णामचारी थे। छः सदस्य कांग्रेसी थे।
 

संविधान सभा के अधिवेशन

संविधान सभा के कुल 12 अधिवेशन हुए जिसमें 24 जनवरी 1950 का अन्तिम अधिवेशन भी सम्मिलित है ।
पहली बैठक मे 9 महिलाओ ने भाग लिया । वैसे कुल 15 महिलाए ली जिनका संविधान निर्माण में सहयोग रहा। बेगम अयाज रसूल एकमात्र मुस्लिम महिला थी ।
26 नवम्बर1949 को भारत का आंशिक संविधान लागू हुआ था इस दिन केवल 16 अनुच्छेद लागु हुए । इसका उल्लेख अनुच्छेद 394 में है।
26 नवम्बर को विधि दिवस के रूप में मनाया जाने लगा । वर्तमान में 26 नवम्बर को संविधान दिवस के रुप में मनाया जाता है ।
24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अन्तिम बैठक हुई जिसमें 284 सदस्यों ने भाग लिया एवं हस्ताक्षर किये। डा० राजेन्द्र प्रसाद प्रथम राष्ट्रपति निर्वाचित हुए । प० नेहरू प्रथम प्रधान मंत्री नियुक्त हुए ।
नोट- 15 अगस्त 1947 से 26 जनवरी 1950 तक भारत की शासन व्यवस्था का संचालन 1935 अधिनियम के अनुसार होगा ऐसा 1947 के अधिनियम में वर्णित था । इसे अनुच्छेद 395 में समाप्त कर दिया गया ।


संविधान सभा की समितियां

  1. संघ शक्ति समिति
  2. संघीय संविधान समिति
  3. राज्यो के लिए समिति 
  • इन तीनो समितियो की जिम्मेदारी प० जवाहर लाल नेहरू पर थी।
  • राज्यो के लिए समिति एवं प्रांतीय संविधान समिति एवं मौलिक अधिकार, अल्पसंख्यक परामर्शदाता समिति का दायित्व सरदार पटेल पर रहा । 
  • प्रक्रिया नियम समिति एवं संचालन समिति का दायित्व डा० राजेन्द्र प्रसाद पर एवं प्रारूप समिति का दायित्व डा ० अम्बेडकर पर था।

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