प्लूटो का साम्यवाद पर विचार

प्लूटो ने अपने आदर्श राज्य के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए दो साधनों को अपनाया:

  1. राज्य नियंत्रित शिक्षा
  2. संरक्षक वर्ग के लिए संपत्ति और स्त्रियों का साम्यवाद


साम्यवादी व्यवस्था का प्रतिपादन करने का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से शासन कला में निपुण एवं सुप्रशिक्षित होने के बाद संरक्षक वर्ग को कंचन और कामिनी से दूर करके पथ भ्रष्टता से बचाना था ।  संरक्षक वर्ग को भ्रष्ट होने के खतरे से सुरक्षित करने के लिए व्यक्तिगत संपत्ति और परिवार व्यवस्था का ही उन्मूलन कर दिया साम्यवाद का प्रतिपादन प्लेटो का मौलिक विचार नहीं था। बल्कि उस समय अनेक नगर राज्यों में साम्यवाद प्रथा थी। उस समय की साम्यवादी व्यवस्था से प्रभावित होकर ही प्लूटो ने यह विचार दिया। प्लूटो के समय स्पार्टा नगर राज्य में शासक वर्ग सार्वजनिक स्थानों पर भोजन करते थे। क्रीट नगर राज्य में सामूहिक कृषि की जाती थी। पाइथागोरस का मानना था "मित्रों के मध्य सभी वस्तुओं पर सभी का सामूहिक स्वामित्व होना चाहिए "|  प्लेटो से पूर्व भी यूरीपाइडीज नामक विचारक ने पत्नियों के साम्यवाद के सिद्धांत का समर्थन किया। इन सभी से प्रेरित होकर प्लेटो ने अपनी पुस्तक रिपब्लिक में संपत्ति और स्त्रियों के साम्यवाद का प्रतिपादन किया। 


साम्यवाद व्यवस्था के दो रूप है:

  1. संपत्ति का साम्यवाद
  2. स्त्रियों का साम्यवाद

संपत्ति का साम्यवाद:

प्लूटो के अनुसार समस्त सैनिक एवं शासक वर्गों को उसकी व्यक्तिगत संपत्ति से वंचित कर दिया जाए तथा अपनी कही जाने वाली कोई संपत्ति नहीं होनी चाहिए। संरक्षक वर्ग राज्यों द्वारा प्रतिबंधित भोजनालयों में भोजन करेंगे। राज्यों द्वारा प्रतिबंधित स्थानों पर निवास करेंगे तथा उनकी समस्त आवश्यकताएं राज्य द्वारा पूर्ण की जाएंगी। इन्हें अपनी जीविका की कोई चिंता नहीं करनी है। यह वर्ग केवल प्रशासन तथा राज्य की सेवा करेंगे। प्लेटो कहता है कि जब निजी संपत्ति समाप्त हो जाएगी तब संरक्षक वर्ग अपना कर्तव्य निभा सकेंगे और भ्रष्ट होने की संभावना समाप्त हो जाएगी। यह तथ्य मनोवैज्ञानिक आधार पर बताता है। आर्थिक तथा राजनीतिक आधार पर वह कहता है कि यदि राजनीति में भ्रष्टाचार को रोकना है राजनीति से आर्थिकतत्वों को समाप्त करना होगा।
नोट- केवल उत्पादक वर्ग को व्यक्तिगत संपत्ति रखने का अधिकार दिया है परंतु राज्य के नियंत्रण में उत्पादक वर्ग सम्पत्ति का संचय करेगा |

स्त्रियों अथवा पतिनयों का साम्यवाद:

प्लेटो के अनुसार शासकों एवं सैनिकों को व्यक्तिगत परिवारों से मुक्त रहना होगा | प्लूटो की मान्यता थी कि व्यक्तिगत परिवार प्रथा के कारण शासक वर्ग पारिवारिक मोह में पड़ कर ऐसा कार्य करने को तत्पर हो जाते हैं जो अनुचित ही नहीं अनैतिक भी होते हैं । पत्नियों के साम्यवाद का दूसरा कारण प्लूटो के समय में एथेंस नगर राज्य में प्रचलित स्त्रियों की दुर्दशा थी । प्लेटी ने स्त्रियों को पुरुषों के समकक्ष घोषित कर उन्हें समानता का स्थान प्रदान किया । स्त्रियों को वे सब कार्य करने के लिए सक्षम तथा अधिकारी माना जो पुरुषों द्वारा किए जाते हैं । प्लेटो स्त्रियों के साम्यवाद का तीसरा कारण श्रेष्ठ संतान की प्राप्ति थी। प्लूटो स्थाई विवाह पद्धति का समर्थक नहीं था। उसके स्थान पर अस्थाई विवाह पद्धति का समर्थन किया। वह अस्थाई विवाह के माध्यम से श्रेष्ठ ,बलिष्ठ और बुद्धिमान पुरुषों का सुंदर ,सुसंस्कृत और स्वस्थ स्त्रियों के साथ समागम कराकर  स्वस्थ संतान की प्राप्ति चाहता था ताकि देश को अच्छे नागरिक प्राप्त हो सके। इन संतानों का राज्य संरक्षण में पालन पोषण हो |

 

आलोचना:

आलोचकों ने प्लूटो के साम्यवाद विचार की आलोचना की है उन्होंने कहा कि राज्य परिवार का रूप धारण नहीं कर सकता। बच्चों का साम्यवाद के अंतर्गत स्वस्थ विकास संभव नहीं है । देखा जाए तो पत्नियों का साम्यवाद करके प्लूटो ने नैतिक पक्ष की अवहेलना की, अरस्तु भी कहता है कि परिवार राज्य की आधारभूत इकाई है यदि हम परिवार को नष्ट कर देते हैं तो अप्रत्यक्ष रूप से हम राज्य के विनाश के द्वार भी खोल देते हैं अतः परिवार को नष्ट करना उचित नहीं माना जा सकता । प्लूटो के साम्यवाद के विचार की आलोचना करते हुए अरस्तु कहता है कि जो इसने पत्नियों की साम्यवादी व्यवस्था की बात की है इससे यौन विकृतियां उत्पन्न होंगी ।


मूल्याकंन:

प्लूटो के संपत्ति के साम्यवाद पर यदि हम नजर डालें तो संपत्ति का साम्यवाद आज भी व्यवहार में अपनाया जा सकता है। यदि शासक वर्ग की व्यक्तिगत संपत्ति को समाप्त कर दिया जाए तो वे  अपने का कर्तव्य का निष्ठा से पालन कर पाएगा ।

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