राजनीतिक दल

आधुनिक राजनीतिक व्यवस्था के अन्तर्गत राजनीतिक दल एक महत्वपूर्ण अवधारणा है। राजनीतिक दल एक प्रकार का व्यापक सामाजिक समूह है जिसके माध्यम से सामाजिक हितों एवं विचारों की पूर्ति आसानी से की जा सकती है। राजनीतिक दल ही सरकार का निर्माण कर नीतिगत प्रशासनिक संरचना का निर्माण करतें हैं। परिणामस्वरूप व्यक्तियो की सामाजिक,आर्थिक और राजनीतिक हितों की रक्षा इन्हीं राजनीतिक दलों के माध्यम से होती है। राजनीतिक दलों के माध्यम से हम किसी समाज की व्यवस्था को सरलतापूर्वक समझ सकते हैं।

राजनीतिक दल का अर्थ साधारण अर्थ  में राजनैतिक दल एक ऐसा स्वैच्छिक संगठन होता है जिसके सदस्यों के दृष्टिकोणों व उनके परस्पर उद्देश्यों में समानता पाई जाती है तथा वे सभी एक सिद्धान्त व विचारधारा के समर्थक होतें हैं एवं उससे सहमत होतें हैं। राजनैतिक दल सरकार बनाने व सत्ता प्राप्ति की होड़ में लगे रहतें हैं यदि सरकार नहीं बना पाते तो सरकार के बाहर रहकर जनता की बात को सरकार तक पहुंचाते रहते हैं रहते हैं तथा जनता को अपने राजनीतिक दल के सिद्धांत के पक्ष में लाने का प्रयास करते हैं।

परिभाषा 

मैंकाइवर के अनुसार " राजनीतिक दल एक ऐसा समुदाय होता है जो किसी ऐसे सिद्धांत अथवा ऐसी नीति के समर्थन के लिए संगठित हुआ हो ,जिसे वह वैधानिक साधनों से सरकार का आधार बनाना चाहता हो।"

प्रो० लिकॉक के अनुसार "  राजनीतिक दल से हमारा तात्पर्य नागरिकों के उस संगठित समूह से होता है जो एक राजनीतिक इकाई के रूप में कार्य करतें हैं।"

एडमंड बर्क के अनुसार "राजनीतिक दल ऐसे लोगों का एक समूह होता है जो किन्हीं पूर्व स्वीकृत सिद्धांतों के आधार पर अपने सामूहिक प्रयत्नों द्वारा जनता के हित में काम करने के लिए एकता में बंधे होते हैं।"

गिलक्राइस्ट के अनुसार "राजनीतिक दल की परिभाषा उन नागरिकों के संगठित समूह के रूप में की जा सकती है , जो राजनैतिक रूप से एक विचार के हो और जो राजनीतिक इकाई के रूप में सरकार पर नियंत्रण करना चाहतें है।"

इन परिभाषाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि राजनीतिक दल एक ऐसा सामाजिक समूह है जो जनता को संगठित कर सरकार का निर्माण करतें हैं तथा जनता के कल्याण हेतु एक सिद्वान्त के द्वारा राज्य का शासन संचालित करते हैं। अतः राजनीतिक दल ऐसा संगठन है जो जनता और सरकार के बीच एक कड़ी का कार्य करता है।

विशेषताएं

  •  ऐसा संगठन जिसका प्राथमिक उद्देश्य राजनीतिक नेतृत्व को प्राप्त करना होता है। इसके लिए सभी सदस्य सरकार बनाने का भरपूर प्रयास करते हैं।
  •  राजनैतिक दल में कई परस्पर विरोधी समूह किसी उद्देश्य तथा राजनैतिक विचारधारा को लेकर आपस में सम्बन्धित रहतें हैं। इनमें आर्थिक , सामाजिक हितों के कारण उप - संरचनाएँ निर्मित होती है।
  • राजनीतिक दल एक ऐसा संगठन होता है जिसमें अल्पतंत्रीय प्रवृतियाँ अधिक पायी जाती हैं जो कुछ लोगों के हाथ में संगठन की पूर्ण सशक्ति सौप देता है।राजनीतिक दल में कई स्तर होते हैं।
  • यह एक खुली व्यवस्था होती है ।सदस्यता हेतु इसके द्वार हमेशा खुले होते हैं।
राजनीतिक दल के गठन करने लिए निर्माताओं को कुछ शर्तें पूरी करना जरूरी है:

जैसे वे सामाजिक नीति के कुछ मौलिक सिद्धांतों पर सहमत हो तथा उनकी अपनी राजनीतिक विचारधारा हो।
अपने राजनीतिक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए वे क्रियात्मक मंच तैयार करें तथा ऐसा करने में अपने कार्यकर्ताओं के बीच प्रभावशाली ढंग से मतदाताओं को आकर्षित करना ही उनका लक्ष्य हो।
वे जनता तक अपनी विचारधारा तथा कार्यक्रम को पहुंचाने के लिए प्रभावी संगठन तैयार करें और यदि वे सत्ता प्राप्त करने में सफल हो जाएं तो अपने कार्यक्रम लागू करें।
उनके कार्यक्रम का निर्माण इस ढंग से हो कि उससे समग्र रूप में जनता के सामान्य हित में वृद्धि हो।
वे केवल 'संवैधानिक तरीकों' का प्रयोग करें तथा पूरी तरह से संविधान के ढांचे के भीतर कार्य करें।

राजनीतिक दल के निर्माणक तत्व
  • संगठन -राजनीतिक दल एक व्यापक समूह होता है।समूह के लिए संगठन का होना अत्यंत आवश्यक है। बिना संगठन के राजनैतिक दल अपंग है। संगठन तभी दृढ़ होगा जब सभी सदस्यों की विचारधाएँ एक जैसी होती है। सदस्यों में पार्टी हित में अनुशासन,निष्ठा व ईमानदारी आदि गुणों का होना आवश्यक है। संगठन में ही वह शक्ति होती है जिसके आधार पर दल  को कार्य करने में सुविधा रहती है।
  • मतों एवं सिद्धान्तों में एकरूपता -राजनीतिक दल के निर्माणक तत्व में मतों एवम् सिद्धांतो में एकरूपता महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कोई भी राजनीतिक दल मत विभिन्नता होने पर ढंग से कार्य नहीं कर पाता है। मत एवम् सिद्धांतों में एकरुपता होना आवश्यक है।
  • मतदान और उसके निर्णय में विश्वास -राजनीतिक दल के निर्णायक तत्व में मतदान  में विश्वास बहुत आवश्यक है ।राजनीतिक दल की भूमिका को गति देने के लिए यह तत्व  महत्वपूर्ण है।
  •  राष्ट्रीय हित - किसी देश का राष्ट्रीय हित वहाँ के राजनतिक
  • दल की वैचारिक मजबूती पर निर्भर करता है। यदि किसी देश का राजनीतिक दल कमजोर होता है तो उस देश के राष्ट्रीय हित कमजोर पड़ जाते हैं। राजनीतिक दल के लिए यह आवश्यक है कि उनके द्वारा किसी विशेष जाति , धर्म अथवा वर्ग हित को दृष्टि में रखकर नहीं वरन् सम्पूर्ण राष्ट्र के हित को दृष्टि में रखकर कार्य किया जाना चाहिए।
लोकतंत्र में राजनीतिक दलों के कार्य एवं महत्व 

  • लोकमत का निर्माण-वर्तमान समय में राज्य संबंधी विषय बहुत अधिक जटिल और व्यापक होते हैं और जो साधारण व्यक्ति की समझ के बाहर होते हैं। ऐसी स्थिति में राजनीतिक दल सार्वजनिक समस्याओं को जनता के समक्ष प्रस्तुत करते समय उनकी समझ का ध्यान रखते हैं।जिससे सामान्य जनता  समस्याओं को समझ कर निर्णय कर सकती है और स्वस्थ लोकमत का निर्माण होता है।
  • चुनावों का संचालन-राजनीतिक दल  अपने उम्मीदवारों को खड़ा करके उनके पक्ष में प्रचार करते हैं । चुनाव प्रचार के समय होने वाले व्यय राजनीतिक दल द्वारा किया जाता है।राजनीतिक दल के बिना विशाल लोकतांत्रिक राज्यों में निर्वाचन का संचालन असंभव है।राजनीतिक दलों के महत्व को रेखांकित करते हुए डॉ० फाइनर ने लिखा है कि" राजनीतिक दलों के बिना निर्वाचक या तो नितांत असहाय हो जाएगें या उनके द्वारा असंभव नीतियों को अपनाकर राजनीतिक यन्त्र को नष्ट कर दिया जाएगा। "
  • सरकार का निर्माण - निर्वाचन के बाद राजनीतिक दलों द्वारा ही सरकार का निर्माण किया जाता है। अध्यक्षात्मक  शासन व्यवस्था में राष्ट्रपति अपने विचारों से सहमत व्यक्तियों की मंत्रिपरिषद का निर्माण कर शासन संचालन करता है।संसादात्मक शासन में जिस राजनीतिक दल को बहुमत प्राप्त होता है उसके प्रधान द्वारा मंत्रिपरिषद  का निर्माण करते हुए शासन संचालन किया जाता है। मंत्रिपरिषद व्यवस्थापिका में अपने राजनीतिक समर्थन के आधार पर ही शासन कर सकती है। राजनीतिक दलों के अभाव में तो व्यवस्थापिका के सदस्यों द्वारा अपनी अपनी ढपली अपना अपना राग का रुख अपनाया जा सकता है जिसके कारण शासन संभव नहीं होगा।
  • शासन सत्ता को अनुशासित रखना - शासन व्यवस्था में बहुसंख्यक राजनीतिक दल के साथ अल्पसंख्यक राजनीतिक दल भी महत्व रखता है क्योंकि वह सत्ता में विपक्ष की भूमिका में रहकर शासन सत्ता को अनुशासित रखता है नहीं तो सत्तारूढ़ दल अधिनायकवादी हो जाता है  एवं अपनी मनमानी करने लगता है।
  • सरकार के विभागों में समन्वय एवं सामजस्य - संसदीय शासन व्यवस्था में कानून निर्माण और प्रशासन की शक्ति सत्ता रूढ़ राजनीतिक दल में ही निहित होती है और दलीय अनुशासन के कारण कार्यपालिका व्यवस्थापिका से अपनी इच्छानुसार कानूनों का निर्माण करवा सकती है। अध्यक्षात्मक शासन व्यवस्था वाले सयुंक्त राष्ट्र अमेरिका जैसे देशों में , जहाँ पर व्यवस्थापिका और कार्यपालिका शासन के दो पृथक् अंग होते हैं , राजनीतिक दलों की सहायता के बिना शासन का भली प्रकार संचालन संभव नहीं हो सकता। राजनीतिक दल भी विभिन्न विभागों में समन्वय एवं सामजस्य स्थापित करते हैं।
  • राजनीतिक चेतना का प्रसार- राजनीतिक दल नागरिक चेतना एवं राजनीतिक शिक्षा के अत्यंत महत्वपूर्ण साधन हैं। राजनीतिक दल अनेक सार्वजनिक समस्याओं पर वाद विवाद एवं प्रचार के माध्यम से उदासीन जनता के मन में भी रूचि जागृत करते हैं ताकि जनता सार्वजनिक समस्याओं एवं अपने अधिकारों के प्रति जागृत हो। लावेल ने कहा है राजनीतिक दल राजनीतिक विचारों के दलाल के रूप में कार्य करते हैं।
  • जनता एवं शासन के बीच संबंध - प्रजातंत्र का आधारभूत सिद्धान्त जनता और शासन के बीच संपर्क बनाए रखना है। प्रजातंत्र में जिस दल के हाथ में शासन शक्ति होती है उसके सदस्य जनता के मध्य सरकारी नीति का प्रचार करते हैं तथा जनमत को अपने पक्ष में रखने का प्रयत्न करते हैं। विपक्षी दल शासन के दोषों की ओर जनता का ध्यान आकर्षित करतें हैं। सभी दल जनता की कठिनाइयों एवं शिकायतों को शासन को पहुंचाकर उनकी मांगों को पूरा कराते हैं।
राजनीतिक दलों द्वारा शासन-व्यवस्था से सम्बन्धित सभी प्रकार के कार्य किए जा सकते हैं। प्रो० मैरियम अपनी पुस्तक अमरीकन पार्टी सिस्टम में लिखते हैं "राजनीतिक दलों का कार्य अधिकारी वर्ग का चुनाव करना ,लोकनीति का निर्धारण करना ,सरकार चलाना और उसकी आलोचना करना ,राजनीतिक शिक्षण और व्यक्ति एवं सरकार के बीच मध्यस्थता का कार्य करना है।"

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