दबाव समूह (Pressure Groups )

आर्थिक , सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन से जुड़े हुए हितों और विविध गतिविधियों के प्रतिनिधित्व के लिए दबाब समूहों का विकास हुआ है।सभी प्रकार के समाज और शासन व्यवस्था में दबाब समूह विद्यमान रहे हैं।वर्तमान में दबाव समूह राजनीति में एक संस्था के रूप में कार्य कर रहे हैं। 1908 में आर्थर बेंटेले  की पुस्तक प्रोसेस ऑफ गवर्नमेंट और डेविड बी.ट्रूमैन की पुस्तक गवर्नमेंट प्रोसेस ने दबाब समूहों के अध्ययन को महत्वपूर्ण विषय बना दिया है। प्रो० फाइनर ने दबाब समूह को अज्ञात साम्राज्य कहा है। प्रारंभ में संयुक्त राज्य अमेरिका,ब्रिटेन,फ्रांस और इटली में दबाव समूह सक्रिय थे परन्तु अब विकासशील देशों में भी दबाव समूह आस्तित्व में आ गए हैं। राजनीतिक व्यवस्था और प्रक्रिया में दबाव समूह महत्वपूर्ण भूमिका सम्पादित करते हैं जबकि स्वयं चुनाव नहीं लड़ते।

दबाव समूह का अर्थ एवं परिभाषा-दबाव समूह से हमारा अभिप्रायः सरकारी संरचना के बाहर संगठित किसी ऐच्छिक समूह से है जो सरकारी कर्मचारियों की भर्ती अथवा मनोनयन ,सार्वजनिक नीति तथा इसके प्रशासन व न्यायविधान को प्रभावित करने का प्रयास करता है। ये ऐसे समूह है जिनके द्वारा विभिन्न वर्ग या हित के लोग अपना समूह बनाकर सार्वजनिक मामलों पर प्रभाव डालने का प्रयत्न करते रहते हैं।इन समूहों में व्यापारिक वर्ग, अल्पसंख्यक,व्यवसायिक तथा अन्य वर्ग सम्मिलित हैं।

मायरन वीनर के अनुसार "हित या दबाव समूहों से हमारा तात्पर्य शासन के ढाँचे के बाहर  स्वैच्छिक रूप से संगठित ऐसे समूहों से होता है जो प्रशासनिक अधिकारियों की नामजदगी और नियुक्ति,विधि निर्माण और सार्वजनिक नीति के क्रियावयन को प्रभावित करने के लिए प्रयत्नशील रहतें हैं।"

ओडीगार्ड के अनुसार "दबाव समूह ऐसे लोगों का औपचारिक संगठन है जिसके एक अथवा अधिक सामान्य उद्देश्य होते हैं और जो घटनाओं के क्रम को, विशेष रूप से सार्वजनिक नीति के निर्माण और प्रशासनिक कार्यों को इसलिए प्रभावित करने का प्रयत्न करतें है कि वे अपने हितों की रक्षा एवं वृद्धि कर सकें।"
परिभाषा के आधार पर दबाव समूहों को सार्वजनिक नीति को प्रभावित करने वाले गैर सरकारी समूह कहा जा सकता है।

दबाव समूह की विशेषताएँ अथवा लक्षण


दबाव समूह के कुछ सामान्य लक्षण एवं विशेषताओं को निम्नलिखित बिन्दुओं पर इंगित किया जा सकता है
विशेष एवं सीमित उद्देश्य दबाव समूह अपनी गतिविधियाँ विशेष लक्ष्य को प्राप्त करने तक सीमित रखते हैं।
अनौपचारिक रूप से संगठित दबाव समूह अनौपचारिक संगठन होतें है जिन्हें सामान्य जन असंगठित समूह कहता है। ये समूह अपने हितों की पूर्ति के लिए उचित -अनुचित ,संवैधानिक -असंवैधानिक सभी साधनों का प्रयोग करते हैं।

राजनीति और प्रशासन में अप्रत्यक्ष भूमिका दबाव समूह अप्रत्यक्ष रूप से राजनीतिक दलों को समर्थन एवं प्रचार के द्वारा सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभातें हैं तथा सरकार की नीतियों को भी अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करतें हैं। प्रो० जौहरी के अनुसार दबाव समूह राजनीति के साथ लुका छिपी का खेल खेलते हैं, वे राजनीति में हैं भी और नहीं भी। व्‍यवहार में दबाव समूह राजनीतिक क्रिया अभिमुखी  ही होतें हैं। दबाव समूह बिना उत्तरदायित्व वहन किये सत्ता के संघर्ष और सत्ता के लाभों के लिए सचेष्ट रहेतें हैं।

अनिश्चित कार्यकाल दबाव समूह बनते और समाप्त होते रहते हैं।किसी विशेष हित की पूर्ति के पश्चात ये समाप्त हो जातें है।
दबाव समूहो का स्वरूप किसी देश विशेष की सामाजिक और राजनीतिक विकास की स्थिति के अनुसार परिवर्तित होता रहता है।

राजनीतिक दल और दबाव समूह में अंतर 


राजनीतिक दल और दबाव समूह दोनों ही राजनीतिक प्रक्रिया के प्रमुख अंग है जो शासन की नीतियों को प्रभावित करने की चेष्टा करते हैं तथा संविधान और शासन द्वारा स्थापित विभिन्न संस्थाओं की कार्यप्रणाली को नई दिशा देने का करते हैं।

  • शासन सत्ता संबंधी अंतर राजनीतिक दल का उद्देश्य शासन सत्ता पर नियंत्रण रखना होता है उसके लिए वे अपने उम्मीदवारों को खड़ा करके उन्हें विजयी बनाकर सत्ता में स्थान दिलवातें हैं । शासन सत्ता को प्राप्त करके सार्वजनिक नीतियों  को स्वयं निर्धारित और कार्यान्वित करते हैं जबकि दबाव समूह शासन सत्ता प्राप्त करने का प्रयास नहीं करते ।दबाव समूह विधायकों,निर्वाचित पदाधिकारियों, प्रशासनिक कर्मचारियों पर दबाव बनाकर सार्वजनिक नीति और शासन को प्रभावित करने का प्रयास करते हैं।
  • उद्देश्य और कार्यक्रम का अंतर राजनीतिक दल का उद्देश्य व्यापक होता है । राजनीतिक दल का राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर कार्य करते हैं जबकि दबाव समूह एक वर्ग विशेष के हितों का ही प्रतिनिधत्व करते हैं।दबाव समूह के उद्देश्य  सीमित और संकुचित होता है।
  • स्वरूप संबंधी अंतर दबाव समूह राजनीतिक दल की तुलना में अधिक संयुक्त और सजातीय होते हैं।  जबकि राजनीतिक दल व्यापक सामाजिक और राजनीतिक कार्यक्रम  पर आधारित होते हैं तथा निश्चित सीमा में सजातीयता और एकता नहीं रखते जो दबाव समूह में पाई जाती है।
  • आकार तथा सदस्यता की दृष्टि से अंतर राजनीतिक दल बहुत व्यापक संगठन होते हैं जो लाखों - करोड़ों मतदाताओं का समर्थन प्राप्त करना चाहते हैं, किंतु दबाव समूह आकार तथा सदस्यता की दृष्टि से छोटे होते हैं । दबाव समूह की सदस्यता परस्पर व्यापी होती है। एक व्यक्ति एक समय पर अपने हितों के आधार पर कई दबाव समूहों का सदस्य हो सकता है जबकि कोई व्यक्ति एक समय पर एक ही दल का सदस्य हो सकता है क्योंकि दल के प्रति सदस्यों की आस्था एकाग्र होती है।
  • साधन संबंधी अंतर राजनीतिक दलों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे केवल संवैधानिक  साधनों को ही अपनाएगें , जबकि दबाव समूह अपनी आवश्यकतानुसार संवैधानिक तथा असंवैधानिक कोई भी साधन अपना सकते हैं। राजनीतिक दल अधिक घनिष्ठ एवम् उलझे हुए होते हैं।
संवैधानिक स्तर पर राजनीतिक दल और दबाव समूह में अंतर किया जाता है परंतु राजनीतिक स्तर पर ये पूरक संगठन हैं। राजनीतिक दल लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए श्रमिक, युवक, नारी और दलितों के मुद्दों पर रुचि रखते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से इन वर्गीय समूहों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। व्यवहार में एक  विशेष दबाव समूह किसी एक राजनीतिक दल से जुड़ जाता है। देखा जाए तो वर्तमान के राजनीतिक दल कभी न कभी किसी दबाव समूह अर्थात किसी छोटे समूह के ही विस्तृत रूप है।

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