राज्यों का पुनर्गठन


भारतीय जनता द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त करने के पहले ही भाषा के आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की मांग की जाती रही परन्तु स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद इस मांग में और अधिक वृद्धि हो गई।
स्वतंत्रता के समय भारत में तीन प्रकार की ईकाईयाँ थी।
  1. ब्रिटिश प्रांत
  2. देसी रियासतें
  3. चीफ कमिश्नरी प्रांत 
1948 में संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ० राजेंद्र प्रसाद द्वारा एस०के०दर की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया। दर आयोग ने भाषा के आधार पर राज्यों के गठन से इंकार कर दिया । 1949 में इस संदर्भ में कांग्रेस द्वारा पण्डित जवाहर लाल नेहरू, वल्लभ भाई पटेल और पट्टाभि सीतारमैया (जे०वी०पी०)समिति का गठन किया गया। इस समिति ने भी भाषा के आधार पर राज्य के गठन से इंकार कर दिया। 26 जनवरी 1950 को लागू होते समय भारत में चार प्रकार की इकाईयां थीं।
  1. ब्रिटिश प्रांत इनके हेड को राज्यपाल कहा जाता था।
  2. देसी रियासतें इनके पद को राजप्रमुख कहा जाता था।
  3. छोटी देसी रियासतें + चीफ कमिश्नरी प्रांत
  4. अंडमान / निकोबार दीप समूह
1अक्टूबर 1953 को आंध्र प्रदेश भाषा के आधार पर पहला राज्य बना । अनुच्छेद 3 में नए राज्य के गठन की प्रक्रिया का उल्लेख है हालांकि संविधान के किसी भी अनु० में राज्य के गठन के आधारों का उल्लेख नहीं है। दिसम्बर 1953 में सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश जस्टिस फजल अली की अध्यक्षता में राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना की गई। के० एम० पाणिक्कर तथा ह्दयनाथ कुंजरू इसके दो अन्य सदस्य थे। पांडिचेरी , यनम, माहे, कारीकल व चंद्रशेखर जैसे प्रांत 1954 में फ्रांस से लिए तब तक ये हिन्दुस्तान के भाग नहीं थे फ्रांस के अधीन थे। सितंबर 1955 में राज्य पुनर्गठन आयोग ने अपनी अनुशंसाएँ दी। आयोग की सिफारिशों का लागू करने हेतु 7 वाँ संविधान संशोधन किया गया जो कि 1 नवम्बर 1956 को लागू हुआ था।
सातवें संशोधन के द्वारा राजप्रमुख का पद समाप्त कर दिया गया तथा राज्यों की चार श्रेणियों को समाप्त कर उसके स्थान पर दो श्रेणियां ( राज्य और संघशासित प्रदेश ) स्थापित की गई। उस समय 14 राज्य 06 संघशासित प्रदेश थे। राज्य के विधानमंडल में राज्यपाल ,मुख्यमंत्री और कैबिनेट होते हैं। अनु ० 240 के तहत संघ शासित प्रदेशों में संघ सरकार ही प्रशासक के माध्यम से राष्ट्रपति द्वारा शासन संचालित किया जाता है। संघशासित प्रदेशों में विधानमंडल, राज्यपाल और मंत्रिपरिषद नहीं होती जबकि दिल्ली और पुदुचेरी इसका अपवाद है।1960 में बॉम्बे का विभाजन करके महाराष्ट्र और गुजरात और राज्य की स्थापना की गई । 1961 में भारतीय सेना द्वारा चलाए गए ऑपरेशन विजय (पुर्तगाल के विरुद्ध) के द्वारा गोवा ,दमन व दीव को भारत में शामिल किया गया । 16 वें संविधान संशोधन के द्वारा 1962 में 239 -A नामक नया अनु० संविधान में जोड़ा गया इसके तहत पुदुचेरी में मंत्रिपरिषद के गठन का प्रावधान किया गया । 1966 में पेप्सू का विभाजन हुआ और पंजाब एवम् हरियाणा दो राज्य बनाए गए तथा  हिमाचल प्रदेश के रूप में स्थापित किया गया । 35 वें संविधान संशोधन द्वारा 1975 में सह राज्य (associate state) नाम की एक नई श्रेणी स्थापित की गई। अनुच्छेद 2-A के द्वारा सिक्किम को सह राज्य बनाया गया।
36 वें संशोधन द्वारा 1975 में अनुच्छेद 2-A को समाप्त कर 371-F नामक नया अनुच्छेद जोड़ा गया । सिक्कम भारत का 22 वां राज्य है।
  • 53 वें संशोधन के द्वारा 1985 में 23 वां राज्य मिजोरम बना।
  • 55वें एवं 56वें संविधान द्वारा क्रमशः अरूणाचल प्रदेश तथा गोवा राज्य बनें ।
  • 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ ,9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड तथा 15 नवंबर 2000 झारखंड क्रमश 26,27,28 वें राज्य बने।
  • 2 जून 2014 को तेलंगाना 29 वाँ राज्य बना था। 
  • दादरा-नागर हवेली और दमन दीव का विलय होने के बाद 8 केंद्र शासित प्रदेश हो गए हैं।
  • जम्मू और कश्मीर भारत द्वारा केंद्र शासित प्रदेश में पुनर्गठन के प्रावधान जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 जिसे क्रमश: 5 अगस्त एवम् 6 अगस्त राज्यसभा तथा लोकसभा में पारित किया गया । जम्मू कश्मीर और लद्दाख पुनर्गठन अधिनियम 31 अक्टूबर 2019 से प्रभावी हो गया।



Comments

Popular Posts