स्थानीय स्वशासन

लॉर्ड रिपन को स्थानीय स्वशासन (भारत में) का जनक कहा जाता है ।1882 में रिपन ने स्थानीय संस्थाओं की मजबूती  हेतु एक प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को स्थानीय स्वशासन का मेग्नाकार्टा कहा जाता है। स्थानीय स्वशासन राज्य सूची का विषय है। अनुच्छेद 40 में ग्राम पंचायतों के गठन का उल्लेख किया गया । 1952 सामुदायिक विकास कार्यक्रम तथा 1953 में राष्ट्रीय सविस्तार योजना जैसे कार्यक्रम लागू किए गए। इन दोनों कार्यक्रम की जांच करने हेतु 1957 में बलवंत मेहता की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया गया था। मेहता समिति की सिफारिश पर 2 अक्टूबर1959 को भारत में पहली बार पण्डित जवाहर लाल नेहरु द्वारा राजस्थान के नागौर जिले के बगदरी गांव में पंचायत राज संस्थाओं का उद्घाटन हुआ । बलवंत राय मेहता ने ही लोकतांत्रिक शब्द दिया था इसलिए इन्हें Democratic D
ecentralization का जनक कहा जाता है । 1978 में मोरारजी देसाई की सरकार द्वारा अशोक मेहता की अध्यक्षता में गठित समिति ने पहली बार पंचायत राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिए जाने की सिफारिश की थी । 1986 में राजीव गांधी की सरकार द्वारा लक्ष्मी मल सिंघवी की अध्यक्षता में एक अन्य समिति का गठन किया गया । इसी समिति की अनुशंसा पर पंचायतराज संस्थाओं हेतु 64 वाँ तथा नगरपालिकाओं के संवेंधानिक दर्जा हेतु 65 वाँ संविधान संशोधन विधेयक 1989 में लोकसभा में लाए गए परन्तु उस समय राजीव गांधी की सरकार गिर गई ।

73 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1992 -
24 अप्रैल 1993 को यह संशोधन लागू हुआ । इस कारण से 24 अप्रैल को पंचायत राज दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विशेषताएं

  • संवैधानिक दर्जा (Constitutional Status) इसके द्वारा संवैधानिक में अनुच्छेद 243 से 243 ओ तक नए 16 अनुच्छेद जोड़े गए। इसके द्वारा संविधान में 11 वीं अनुसूची भाग IX जोड़ा गया।
  • ग्राम सभा का गठन अनुच्छेद 243 में ग्राम सभा को परिभाषित किया गया है । इसके अनुसार एक ग्राम पंचायत में आने वाले गांव/गावों के मतदाता का समूह ग्राम सभा कहलाती है । एक वर्ष में दो बैठक होती है सरपंच इसकी अध्यक्षता करते हैं।इसका कोरम (गणपूर्ति) 1/10 होती है । अनुच्छेद 243A के तहत ग्राम सभा के कार्यों का निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है।
  • त्रिस्तरीय संरचना गाँव स्तर पर ग्राम पंचायत, खण्ड स्तर पर पंचायत समिति तथा जिला स्तर पर जिला परिषद की स्थापना की गई है। जिन राज्यों की जनसंख्या 20 लाख से कम है वहाँ मध्यस्तर की (पंचायत समिति) स्थापना करना अनिवार्य नहीं है। ग्राम पंचायत के उपाध्यक्ष , पंचायत समिति तथा जिला परिषद के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से होगा । ग्राम पंचायत का अध्यक्ष (सरपंच) का चुनाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष इसका निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है।
  • आरक्षण एस सी, एस टी को जनसंख्या के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था है । महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण की व्यवस्था है। ओ बी सी के आरक्षण की जिम्मेदारी राज्य विधानमंडल पर  है । मध्य प्रदेश पहला राज्य है जहाँ पंचायत राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत (1/2) आरक्षण का प्रावधान किया गया है । 110 वें संविधान संशोधन विधेयक द्वारा पंचायत राज संस्थाओं में महिला आरक्षण को 1/3 से बढ़ाकर 1/2 करना प्रस्तावित है।
  • योग्यता  243 F अनुच्छेद के तहत उम्मीदवार की न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए । शेष योग्यताओं के निर्धारण की जिम्मेदारी राज्य विधानमंडल पर छोड़ा गई है।
  • अवधि (कार्यकाल) Tenure अनुच्छेद 243-E के तहत इन संस्थाओं का कार्यकाल 5 वर्ष होता है । अनुच्छेद 243-E में स्पष्ट उल्लेखित है कि निर्धारित कार्यकाल से पूर्व स्थान रिक्त हो जाने पर नए चुनाव 6 माह में करवाने  होगें । 5 वर्ष की अवधि इनकी पहली बैठक से मानी जाती है।
  • कार्य (functions) अनुच्छेद 243-G के तहत इन संस्थाओं के लिए 29 कार्य निर्धारित किए गए हैं । इन 29 कार्यों का उल्लेख 11 वीं अनुसूची में है । इन 29 कार्यों में से कितने कार्य इन संस्थाओं को दिए जाए इसकी जिम्मेदारी राज्य विधानमंडल पर सौंपी गई है। 
  • राज्य वित्त आयोग का गठन अनुच्छेद 243-I और अनुच्छेद -Y (74 वें संविधान संशोधन) के द्वारा राज्य स्तर पर राज्य वित्त आयोग की स्थापना का प्रावधान किया गया है । राज्यपाल इसका गठन करते हैं। इसकी सदस्य संख्या संविधान में निर्धारित नहीं है। ये आयोग पंचायत राज संस्थाओं तथा नगरपालिकाओं को वित्तीय अनुदान , राज्य की संचित निधि से उनके भाग का निर्धारण इन संस्थाओं की वित्तीय मजबूती हेतु सुझाव देने तथा राज्यपाल द्वारा दिए गए अन्य कार्यों को करता है।
  • राज्य निर्वाचन आयोग का गठन अनुच्छेद 243 K में इसका उल्लेख है। अनुच्छेद 243 K के तहत यह एक सदस्यीय आयोग हैं । राज्य निर्वाचन आयुक्त इसका पद नाम है। राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है। संविधान में इनकी योग्यता का उल्लेख नहीं है। भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी इस पद नियुक्त किया जाता है इनका कार्यकाल संविधान में निर्धारित नहीं है । अनुच्छेद 243 K के 243(z) के अनुसार राज्य निर्वाचन आयुक्त को उसी विधि से हटाया जाता है। 
  • कार्य राज्य निर्वाचन आयोग का स्थानीय स्वशासन से संबंधी मुख्य कार्य पंचायत राज संस्थाओं और न्यायपालिकाओं के चुनाव करवाना तथा मतदाता सूचियां तैयार करना है।
  •  73वें संविधान संशोधन के तहत नागालैंड ,मेघालय, मिजोरम में चुनाव नहीं करवाए जाते हैं तथा पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग और मणिपुर के स्वायत्तशासी क्षेत्र में भी यह संशोधन लागू नहीं होता है।
  • PESA अनुसूचित जाति क्षेत्रों में पंचायतराज संस्थाओं का विस्तार अधिनियम 24 दिसंबर 1996 को लागू हुआ था ।वर्तमान में इसमें 11 राज्य सम्मिलित है।
  • अनुच्छेद 243 H के तहत इन संस्थाओं को भी कर लगाने की शक्तियां दी गई है। इन संस्थाओं के अंकेक्षण (Audit) की जिम्मेदारी को राज्य विधानमंडल पर छोड़ा गया है।
  • जिला नियोजन समिति (district planning committee) 74 वें संविधान संशोधन द्वारा अनुच्छेद 243 ZD के तहत इसकी स्थापना की गई है । यह जिला स्तर पर योजना बनाने का काम करती है। इसकी सदस्य संख्या संविधान में निर्धारित नहीं है परंतु इसके 4/5 सदस्य नगरपालिकाओं तथा जिला पंचायतों ( जिला परिषद) के सदस्यों के द्वारा चुने जाते हैं।राज्य सरकार प्रत्येक जिला नियोजन समिति में उस जिले के सासंद या विधायकों में से 2 व्यक्तियों को मनोनीत करती है।



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