केंद्रीय सतर्कता आयोग( Central Vigilance Commission)

1962 में भ्रष्टाचार पर रोकथाम लगाने हेतु सुझाव देने के लिए के० संथानम की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया गया था। संथानम आयोग की सिफारिश पर 1964 में राष्ट्रपति के एक आदेश द्वारा (कार्यपालिका का प्रस्ताव ) सी०वी०सी० की स्थापना की गई । 1998 में राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए एक अध्यादेश से सी०वी०सी० को विधिक(legel)/वैधानिक(statutary)/संविधिक संस्था बनाया गया । वर्ष 2003 में वाजपेयी सरकार द्वारा CVC एक्ट 2003 बनाया गया था।

विशेषताएं

  • इसके द्वारा CVC को बहुसदस्यीय संस्था बनाया गया। इसमें 1 मुख्य सतर्कता आयुक्त 2 अन्य सतर्कता आयुक्त होते हैं।
  • योग्यताएं अखिल भारतीय सेवाओं व केंद्रीय सेवाओं के अधिकारी इस पद पर नियुक्त किए जाते हैं।
  • नियुक्ति कोलेजियम की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा नियुक्ति की जाती है । कोलेजियम के अध्यक्ष प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री इसके सदस्य होते हैं।
  • कार्यकाल इनका कार्यकाल 4 वर्ष का होता है तथा सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष होती है।
  • मुख्य सतर्कता आयुक्त का दर्जा(status) UPSC के अध्यक्ष के बराबर तथा जबकि अन्य सतर्कता आयुक्तों का दर्जा UPSC के सदस्य के बराबर होता है।
  • पदच्युत करना (removal) 
    कदाचार /अक्षमता के आधार पर राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय से करवाई गई जाँच के आधार पर इन्हें हटाया जाता है। जाँच के द्वारा निलंबित किया जा सकता है।
  • कार्य /शक्तियां CVC को दंतविहीन बाघ की संज्ञा दी जाती है। सीवीसी के कार्यों में अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के विरुद्ध जनशिकायतों की सुनवाई करना , केंद्रीय सेवाओं के सभी श्रेणियों (ABCD) के अधिकारियों के विरुद्ध शिकायतें सुनना,संसदीय अधिनियम से स्थापित सभी संस्थाओं के अधिकारियों के विरुद्ध शिकायतें सुनना तथा 2004 से विहस्ल ब्लोअर्स (whistle blowers) से संबंधित मामले सुनना महत्वपूर्ण है।

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